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Crime Patrol Dastak to Portray 16 Dec 2012 Delhi Nirbhaya Case (Hindi)


The victim, a physiotherapy student who died after a 2 week long fight for her life. She was beaten badly along with her male friend then by 6 people inside a charted bus. They both were returning from Saket, a South Delhi area after watching a movie. Later all 6 person arrested who assaulted on both of the victims. The incident put a fire over the country because this was not the first case of assaulting a women...

16 दिसंबर की रात भारत की उन काली रातो में गिनी जा रही है जिस रात एक बाद फिर भारत का सर पूरे विश्व के सामने शर्मसार हो गया। मगर इस बार घटी घटना कोई राजनीतिक कदम नहीं थी, ये न कोई भ्रष्टाचार की नई कहानी थी और न ही सरकार द्वारा लिया गया कोई नया फैसला था।
हमारे भारत की राजधानी- दिल्ली और महिलाओं की सुरक्षा के बीच हमेशा से 36 का आंकडा रहा है। दिल्ली पुलिस और सरकार ने कितने ही सख्त कदम उठाये मगर ये समस्या दिन पर दिन गंभीर होती चली गई है। दिल्ली फिर शर्मसार हुई। २३ साल की छात्र के साथ ये सबकुछ हुआ जब की उसका दोस्त उसके साथ ही था। छात्रा को सफदरजंग अस्पताल में एडमिट किया गया। हालत 2 हफ्ते तक वो जिंदगी और मौत की जंग लड़ती रही। हालत और बिगड़ने पर उसको सुबह मेदंता मेडसिटी, गुडगाँव भेजा गया, उसी शाम सिंगापुर के माउन्ट एलिज़ाबेथ हॉस्पिटल एयर एम्बुलेंस के द्वारा भेजा गया और उसी शाम को उसकी मृत्यु हो गई।

इस बीच मीडिया से लेकर भारत की जनता ने उस छात्रा को कई सारे नाम दिए जैसे, अमानत, दामिनी, निर्भया, वीरा, जागृति आदि। कुछ ही दिन पहले पीड़िता के पिता श्री बद्री सिंह पांडे एक ब्रिटिश न्यूज़ पेपर थे संडे न्यूज़ के सामने आये और उन्होंने ये बोला की उन्हें कोई हर्ज़ नहीं है अगर मीडिया और पूरी दुनिया उसके नाम को भी जाने। वो इसे दुनिया से छिपाना नहीं चाहते। उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं की दुनिया उसको उसके असली नाम से जाने। उसने कुछ भी गलत नहीं किया था, और उसकी मृत्यु आत्म रक्षा करते वक़्त हुई। मुझे उस पर गर्व है। लोग उसका नाम जानेंगे तो और महिलाओं का हौसला बढेगा जो इस तरह के हमलों से होकर गुजरी हैं और उन्हें मेरी बेटी के द्वारा शक्ति मिलेगी।"

उन्होंने ये भी साफ़ किया की उस रात जो दोस्त उसके साथ था वो उसका बॉय फ्रेंड नहीं था बल्कि बहुत की बहादुर दोस्त थे जिसने हर प्रयास किया उसको बचाने का।

"उन दोनों के बीच शादी जैसी कोई बात नहीं थी क्यों की वो दोनों जाति से भी अलग अलग थे। उसकी शादी की अभी कोई इच्छा नहीं थी और वो अभी सिर्फ अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे रही थी और इसके बाद वो नौकरी करना चाहती थी।"


मीडिया द्वारा ये सुनने में आ रहा है की क्राइम पट्रोल इस पूरे घटनाक्रम को चरितार्थ करने जा रहा है। इसकी शूटिंग दिल्ली में शुरू हो चुकी है। एक इंटरव्यू में डायरेक्टर सुब्बू अईयर ने इस एपिसोड के बारे में चर्चा की है,

"केस का प्रस्तुतीकरण संवेदनशील होगा और असली घटना पर आधारित होगा। हम इसको सनसनीखेज़ रूप में प्रस्तुत नहीं करेंगे। हमारी कोशिश है उस मासूम लड़की की कहानी बताने का। उसके साथ किस प्रकार से उस बस में क्रूर और विकृत घटनाक्रम घटा। हमारा प्रयास है इस तरह के मुजरिमों के बारे में बताने का की वो किस तरह की मानसिकता रखते है और इस प्रकार के जुर्म करते हैं।"

सुब्बू आगे बताते हैं, "मुझे भी गुस्सा आता है हमारे देश में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर। सिर्फ इस केस के बात नहीं है, ऐसे और भी काफी सारे केसेज़ हैं जहाँ न्याय में देरी हुई है। केसेज़ फास्ट ट्रेक पे चले तो ज़रूर मगर फ़ाइनल जजमेंट आने में काफी समय बीत गया। हमने पहले भी ऐसे केसेज़ दिखाए हैं जिनमे न्याय या तो नकार दिया गया या फिर अभी तक नहीं हुआ।"

होस्ट अनूप सोनी का कहना है,
"हमने पहले भी इस तरह के कई एपिसोड दिखाए हैं, मगर इस केस ने लोगों के दिलो-दिमाग में विद्रोह भर दिया है। इस तरह के केस में हमारी हमेशा ये कोशिश रहती हैं की लोगो की मानसिकता बदले और इस बार भी हमारा यही प्रयास है। लोगो के नज़रिए को बदलना आवश्यक है।"

अनूप सोनी का मानना  है की इन तरह के केसेज़ के लिए सख्त कानून होना चाहिए।

"इस तरह के अपराधियों के मन ये सख्त एहसास होना चाहिए की इस तरह का जुर्म अगर वो करेंगे तो वो बचेंगे नहीं। इन लोगों के मन में डर होना चाहिए और इस तरह के कानून बनने चाहिए। इसके अलावा भी अगर बात करें तो भी महिलाओं के साथ रोज़ छेड़-छाड़ होती है जिसपे लोग ध्यान नहीं देते। छेड़-छाड़ के खिलाफ भी कानून बनने चाहिए की ये सज़ा है महिलाओं से छेड़-छाड़ की'. इस तरह के लोगों में खौफ बैठना ज़रूरी है जिससे की वो लोग ये सब करने से पहले 10 बार सोचे। मै जानता हूँ की ये कहना आसान है की लोगों की सोच बदले महिलाओं के खिलाफ मगर इस सब में थोडा वक्त तो लगेगा।"

जब अनूप से ये पूछा गया की ये सारा घटना क्रम टीवी पर आने के बाद क्या फर्क पड़ेगा:
"उदाहरण के तौर पे अगर ये सोचिये की टाइटैनिक आज से 100 साल पहले डूबा था मगर जब सालों बाद लोगों ने उसे एक फिल्म के तौर पे देखा तो लोगों ने उस त्रासदी को ठीक से जाना और अपना दुःख भी व्यक्त किया।"

क्राइम पट्रोल दस्तक में ये केस 2 भागो में 11 और 12 जनवरी 2013 को प्रस्तुत किया जायेगा

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